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परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय मध्य क्षेत्र, नागपुरद्वारा “परमाणु एवं महत्वपूर्ण खनिज संसाधन: मध्य भारत से भूवैज्ञानिक अंतर्दृष्टियाँ” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन

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प्रतिनिधी सतीश कडू

परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय मध्य क्षेत्र, नागपुरद्वारा “परमाणु एवं महत्वपूर्ण खनिज संसाधन: मध्य भारत से भूवैज्ञानिक अंतर्दृष्टियाँ” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन

 

नागपुर, 18 जुलाई 2025

नागपूर के सिवील लाईन्स स्थित परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय मध्यवर्ती क्षेत्र, नागपुर ने “परमाणु एवं क्रिटिकल खनिज संसाधन: मध्य भारत की भूवैज्ञानिक अंतर्दृष्टियाँ” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह कार्यशाला निदेशालय की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पखनि द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के रूप में आयोजित की गई थी। इस एक दिवसीय कार्यशाला में प्रमुख भूवैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं तथा हितधारकों ने खनिज संसाधन संपन्न मध्य भारतीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण परमाणु एवं क्रिटिकल खनिजों के जटिल भूवैज्ञानिक पहलुओं एवं अन्वेषण रणनीतियों पर गहन चर्चा किए।

परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय केंद्रीय परमाणु ऊर्जा विभाग की सबसे पुरानी इकाई है। इस निदेशालय को भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए आवश्यक एवं भारत की औद्योगिक एवं तकनीकी प्रगति के लिए महत्वपूर्ण परमाणु और संबद्ध महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों की पहचान और मूल्यांकन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। निदेशालय के निदेशक, श्री धीरज पांडे इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने व्याख्यान में श्री पांडे ने राष्ट्रीय विकास के लिए परमाणु और क्रिटिकल खनिजों के रणनीतिक महत्व पर बल दिया और उनके अन्वेषण में पखनि की अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने संसाधनों के अन्वेषण के लिए निरंतर भूवैज्ञानिक अनुसंधान एवं तकनीकी नवाचार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

अपर निदेशक, श्री प्रेम कुमार शर्मा विशिष्ट अतिथि थे। श्री शर्मा ने परमाणु और संबद्ध क्रिटिकल खनिजों के अन्वेषण में सहायक वायुवाहित सर्वेक्षण कार्यक्रम, जिसमें पखनि प्रमुखतः अग्रणी है, के बारे में बहुमूल्य जानकारी साझा किए।

जीएसआई, आईबीएम, एमईसीएल, एमओआईएल, भूविज्ञान एवं खनन निदेशालय (डीजीएम), छत्तीसगढ़ तथा आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय जैसे विभिन्न भूवैज्ञानिक संगठनों के गणमान्य व्यक्तियों ने भी अपने ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा किया। इसके अतिरिक्त, जेएनएआरडीडीसी, नीरी, एनआरएससी, एमआरएसएसी, रमन विज्ञान केंद्र, पुणे विश्वविद्यालय, जीजीएस, सिमफर, सीएमपीडीआइएल, डब्ल्यूसीएल महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के डीजीएम जैसे अन्य विभिन्न प्रमुख वैज्ञानिक और अन्वेषण संगठनों और संस्थानों के विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।
इसके अतिरिक्त निदेशालय एवं अन्य संगठनों के सेवानिवृत्त गणमान्य भूवैज्ञानिक भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

कार्यशाला का आयोजन श्री श्रीकांत आर. मंथनवार, क्षेत्रीय निदेशक, , मध्यवर्ती क्षेत्र की देखरेख में हुआ। श्री मंथनवार ने अपने स्वागत भाषण में विभिन्न परमाणु और महत्वपूर्ण खनिजों के लिए मध्य भारत की भूवैज्ञानिक क्षमता के बारे में बताया और इन संसाधनों के अन्वेषण के लिए सहयोगी अनुसंधान के महत्त्व पर बल दिया।

 

क्षेत्रीय निदेशक के तकनीकी सचिव

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